अरावली का जिलेवार विस्तार

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मध्यवर्ती पर्वतीय प्रदेष

 (अरावली) :-

अरावली राजस्थान के
 मध्य मे स्थित हैंजिसका
 विस्तार
 उत्तर-पूर्व से 
दक्षिण-पष्चिम 
में 692 कि.मी. तक स्थितहैं।
उत्तर-पूर्व में इसका विस्तार 
दिल्ली में रायसीना की पहाड़ियों तक हैं।
दक्षिण-पष्चिम में गुजरात के पालनपुर जिलें 
में खेड़ब्रह्यम तक हैं।
राजस्थान की भौगोलिक सीमाओं के भीतर 
इसकी कुल लम्बाई 
550 कि.मीहैं।

अरावली का जिलेवार विस्तार :-

त्तर-पूर्व से दक्षिण-पष्चिम की ओर क्रमषः-
अलवरझुन्झनु (खेतड़ी), जयपुरसीकर (नीम का थाना), 
अजमेरपालीभीलवाड़ाराजसमंदउदयपुरसिरोहीचित्तौड़गढ़
प्रतापगढ़डुंगरपुरबांसवाड़ा (14)

अरावली को मेरू भी कहते हैं।

अरावली विष्व का प्राचीनतम पर्वत  भौतिक प्रदेष हैंजिसकी 
चट्टाने वलयदार हैं।
खनिजों की मात्रा और संख्या की दृष्टि से धनी हैं। कुछ खनिज 
ऐसे हैंजो सर्वाधिक अरावली में पाये जाते हैं।
जैसें:-सीसा-जस्ताचांदी आदि।
अरावली के दक्षिण में सर्वांधिक खनिज पाए जाते हैंजैसे-जैसे 
अरावली के उत्तर-पूर्व में जाते हैं। खनिजों कीसंख्या  मात्रा में 
कमी आती हैं।
अरावली का दक्षिण-पष्चिम भाग सर्वांधिक चोड़ा हैं।
अजमेर में इसकी चैड़ाई सबसे कम हैं।
उदयपुर से अजेर तक श्रंृखलाबद्ध हैंअजमेर के बाद अरावली 
कटी-छटी हैं।
अरावली राजस्थान के लिए जल-विभाजन का काम करती है। 
(वर्षां जल का)
अरावली भारत के महान जल विभाजक का अंग हैं।
अरावली के पष्चिम में लूनी नदी बहती हैं  पूर्व में बनास नदी बहती हैं।
अजमेर अरावली के न् घाटी (यूमें स्थित हैं। 
(अजमेर अरावली के मध्य में स्थित जिला)
प्लेटनुमा भू-भाग में स्थित नगर उदयपुर हैं।
दक्षिण-पष्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर अरावली की ऊँचाई में कमी आती हैं।
गुरू षिखर:-
माऊन्ट आबू में स्थित मध्य भारत की सबसे ऊँची चोटीजिसकी
 ऊँचाई 1727 मीहैं।
कर्नल जेम्स टाड ने गुरू षिखर को संतो का षिखर कहा
कर्नल टाड ने अपने एजेन्ट के कार्यकाल में राजस्थान से प्राप्त 
अनुभवों को लंदन जाकर ‘एनल्स एण्डएन्टीक्यूटीज आॅफ राजस्थान’ 
में संकलित किया
हैं।दूसरा भाग ‘ट्रेवल्स इन वेस्टर्न इण्डिया हैं।
- 1822 तक टाड राजस्थान के सबसे लोकप्रिय पाॅलिटिकल ऐजेन्ट थे। ये पष्चिमी राजपूताना प्रान्त के पाॅलिटिकलएजेन्ट रहे थे।
सेर :-
सिरोही में स्थितइसकी ऊँचाई 1597 मीटर हैं।
यह दूसरी सबसे ऊँची चोटी हैं।
जरंगा :उदयपुर में स्थित तीसरी चोटीइसकी लम्बाई 1442 मीटर हैं।

उत्तर-पूर्वी  पूर्वी मैदानी भाग :-

ये मैदान राजस्थान के उत्तर-पूर्व में अलवरभरतपुरधौलपुरकरौलीसवांईमाधोपुरदौसा
जयपुर, चम्बलबेसिन और बनास बेसिन में स्थित हैं।
यह मैदान भारत के महान मैदान का विस्तार हैं।
महान मैदान उत्तर भारत में गंगा-यमुना का मैदान कहलाता हैं।
प्रत्यक्ष रूप से गंगा-जमुना के मैदान में अलवरभरतपुर स्थित हैं।
एकल रूप में अलवर स्थित हैं।
समूह रूप में अलवरभरतपर  धौलपुर स्थित हैं।
विषेषताएँ :-
ये मैदान राजस्थान का सर्वाधिक उपजाऊ भाग हैं जो कृषिउद्योगखेती,
 व्यापार-वाणिज्ययातायात की दृष्टिसे विकसित हैं।
इस मैदान का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ हैं। इस मिट्टी को कांप, 
दोमट  कच्छारी मिट्टी भी कहते हैं।
जलोढ़ मिट्टी विष्व की सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी हैं।
इस मिट्टी में सभी प्रकार की फसलें होती हैं।
इस प्रदेष का जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक हैंजो लगभग 300 व्यक्ति
 प्रति वर्ग किलोमीटर हैं।
- इस मैदान मे 39% जनसंख्या निवास करती हैं।
मरूस्थल का जनसंख्या घनत्व 50 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से कम हैं।
इस मैदान में बहने वाली नदियाँ बनास और चम्बल हैं।
मैदान की पूर्वी सीमा विंध्यन कगार से बनती हैं  पष्चिमी सीमा 
अरावली से बनती हैं।
अरावली क्षेत्र मंे 11% जनसंख्या निवास करती हैं
जबकि 9% पठारी भाग स्थित हैंे।
दक्षिण का पठारी भाग :-
राजस्थान में दक्षिण और दक्षिणी-पूर्वी भाग भारत के गोड़वाना लेण्ड 
का हिस्सा हैं, जो विष्व का प्राचीनतम पठारीक्षेत्र हैं।
इस प्रकार राजस्थान का पठारी 
भाग राजस्थान का प्राचीनतम भौतिक प्रदेष हैं।
मध्यप्रदेष के मालवा का पष्चिमी विस्तार हैं।
ये पूर्ण परिपक्व पठार हैंे।
हाड़ौती का पठार :-
राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में कोटाबूंदी, झालावाड़बांरा को 
हाड़ौती क्षेत्र कहते हैं
क्योंकि यहां पर हाड़ा वंषी चैहानों का शासन था
यह मालवा का पष्चिमी विस्तार हैं।
काली मिट्टी से निर्मित हैंमालवा का पठार (मध्यप्रदेषभी काली
 मिट्टी से निर्मित हैं।
इस प्रदेष को सोया प्रदेष कहते हैं।
काली मिट्टी जलोढ़ के बाद सर्वांधिक उपजाऊ मिट्टी हैं।
हाड़ौती के पष्चिम में चम्बल नदी बहती हैं।
इस प्रदेष में पार्वती, कालीसिन्धआहुपरवाननिवाज 
नदियाँ कहती हैंजो प्रत्यक्ष  अप्रत्यक्ष रूप से चम्बल नदीमें दांयी 
ओर से मिलती हैं।
इस प्रदेष में हरियाली अधिक होने पर भी गर्मी अधिक पड़ती हैं
क्योंकि काली मिट्टी की अधिकत हैं।
गागरोन का किला हाड़ौति का सर्वाधिक प्रसिद्ध किला हैंजो 
एक जलदुर्ग हैंजो कालीसिंध  आहु के संगम परस्थित हैं।
- हाड़ौती का सबसे प्राचीन जिला बूंदी हैं।
- हाड़ा वंष की प्राचीनतम राजधानी बूंदी हैं।
गागरोन के किले में पृथ्वीराज राठौड़ ने वेलि क्रिसन रूकमणसीरी 
नामक पुस्तक लिखीजिसे दुरसा आढ़ा ने पांचवा वेद कहा।
मुकन्दवाड़ा का पठार :-
कोटाबूंदीझालावाड़ के मध्य स्थित पठारी भागजहां 
दुर्रा नामक अभ्यारण्य (कोटा) में स्थापित किया जा रहाहैं।
जिसे तीसरा राष्ट्रीय अभयारण्य का दर्जा देने की प्रक्रिया चल रहीं हैं।
ऊपरमाल की पहाड़ियाँ :-
राजस्थान के दक्षिण-पूर्व के मध्य भाग में स्थित पठारी भाग 
जिसका सर्वांधिक विस्तार भीलवाड़ा में हैं।
ऊपरमाल का क्षेत्र बिजौलिया (भीलवाड़ाकिसान आंदोलन, 
बेंगू (चित्तौड़गढ़आंदोलन के लिए प्रसिद्ध था
भोराट का पठार :- उदयपुर के गोगुन्दा और राजसमन्द के 
कुम्भलगढ़ के मध्य में स्थित पठार हैं।
मगरा/भाकर/डूंगर:- पहाड़ी क्षेत्र जो पाली की पूर्वी सीमा
राजसमन्दउदयपुरसिरोहीअजमेर के दक्षिण में स्थितहैं।
बांगड़ क्षेत्र :- डंूगरपुरबांसवाड़ा को बांगड़ क्षेत्र कहते हैं।
 (वाग्वर) (व्याघ्रवाट)
मेवल :डंूगरपुर  बांसवाड़ा के बीच का क्षेत्र मेवल कहलाता हैं।
भाकर :-
तीव्र ढ़ाल वाली ऊबड़-खाबड़ कम ऊँची पहाड़ियों को सिरोही
जालौरपाली में भाकर कहते हैं।
पाली में मानपुरा कस्बा मानपुरी भाकरी कहलाता हैं।
छप्पन का मैदान :-
चित्तौड़गढ़प्रतापगढ़डंूगरपुरबांसवाड़ा  उदयपुर का 
मध्यवर्ती भाग/मैदानी भाग छप्पन का मैदान कहलाताहैं। 
यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं।
गिर्वा/गिरवा :-
गिर्वा जहां उदयपुर स्थित हैंउसके चारों ओर स्थित पहाडियाँ 
 समतल मैदान से निर्मित भौतिक आकृति गिरवाकहलाती हैं।
खेरवाड़/खेराड़ :- भीलवाड़ा में स्थित हैं। यह बनास नदी का बेसिन हैं।
मेरवाड़ा की पहाडियाँ :-
यहा मेर नामक जाति के लोग रहते थे। इसका विस्तार अजमेर के
 दक्षिण मेंपालीराजसमंदभीलवाड़ा के मध्यमें हैं।
ब्रिटिष सरकार ने क्रांति के समय मेर बटालियन का गठन किया था,
 जिसने नसीराबाद छावनी की सुरक्षा की।
मेवात :- अलवर  भरतपुर को मेवात कहते हैं।
डूंगरपुर-बांसवाड़ा से कर्क रेखा गुरजती हैंजो डूंगरपुर के दक्षिण किनारे को 
छूते हुए बांसवाड़ा के लगभग मध्य सेहोकर गुजरती हैं।

अरबूद :- इसमें दक्षिणी-पूर्वी सिरोही  आबू पर्वत खण्ड 
और नया पुराने