चितौडग़ढ़ का परिचय :-
अरावली पर्वत माला में गंभीरी ओर बेड़च नदियों के संगम स्थल पर मौर्य राजा चित्रांगद मौर्य द्वारा इस दुर्ग का निर्माण करवाया गया। पहले इस दुर्ग का नाम चित्रकोट था।
1303 ईस्वी में दिल्ली के सुल्तान अलाउदीन खिलजी ने इसे राणा रतन सिंह से जीतकर इस दुर्ग नाम अपने पुत्र के नाम पर
खिज्राबाद रख दिया। इस दुर्ग में इतिहास प्रसिद्ध तीन शाके क्रमशः 1303 ई., 1534ई ., 1567ई., में हुए । 1303 ईस्वी में रानी पद्मावती ने व 1534 ईस्वी में राजमाता कर्णावती सहित अनेक वीरांगनाओ ने जोहर किया।
यहाँ जयमल व पत्ता की छतरिया है। 1303 ईसवी का शाका राजस्थान का दूसरा सका था ।
वीर गोरा-बादल, जयमल-पत्ता व कल्ला राठौड़ का पराक्रम व बलिदान इस दुर्ग से जुड़ा है।
विजय स्तम्भ:-
महमूद ख़िलजी (मांडू ,मालवा के सुल्तान) पर विजय के उपलक्ष्य में महाराणा कुम्भा द्वारा 1440 ईसवी में इसका निर्माण कार्य आरंभ करवाया । इस इमारत में 9 मंजिल है।
स्तंभ की आठवीं मंजिल पर 'अल्लाह' लिखा हुुुआ है।
विजय स्तंभ को भारतीय मूर्ति कला का विश्व कोष भी कहा जाता है ।
इस दुर्ग में जैन कीर्ति स्तंभ जो प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को स्मतपित है। इसका निर्माण जीजा जैन द्वारा करवाया गया।
किले में मीरा मंदिर है जो इंडो-आर्य सेली में निर्मित हैं।
चितौड़ गढ़ के किले में प्रसिद्ध कुंभ श्याम मंदिर स्थित है।
फतेह प्रकाश महल भी प्रसिद्ध है।
अरावली पर्वत माला में गंभीरी ओर बेड़च नदियों के संगम स्थल पर मौर्य राजा चित्रांगद मौर्य द्वारा इस दुर्ग का निर्माण करवाया गया। पहले इस दुर्ग का नाम चित्रकोट था।
1303 ईस्वी में दिल्ली के सुल्तान अलाउदीन खिलजी ने इसे राणा रतन सिंह से जीतकर इस दुर्ग नाम अपने पुत्र के नाम पर
खिज्राबाद रख दिया। इस दुर्ग में इतिहास प्रसिद्ध तीन शाके क्रमशः 1303 ई., 1534ई ., 1567ई., में हुए । 1303 ईस्वी में रानी पद्मावती ने व 1534 ईस्वी में राजमाता कर्णावती सहित अनेक वीरांगनाओ ने जोहर किया।
यहाँ जयमल व पत्ता की छतरिया है। 1303 ईसवी का शाका राजस्थान का दूसरा सका था ।
वीर गोरा-बादल, जयमल-पत्ता व कल्ला राठौड़ का पराक्रम व बलिदान इस दुर्ग से जुड़ा है।
विजय स्तम्भ:-
महमूद ख़िलजी (मांडू ,मालवा के सुल्तान) पर विजय के उपलक्ष्य में महाराणा कुम्भा द्वारा 1440 ईसवी में इसका निर्माण कार्य आरंभ करवाया । इस इमारत में 9 मंजिल है।
स्तंभ की आठवीं मंजिल पर 'अल्लाह' लिखा हुुुआ है।
विजय स्तंभ को भारतीय मूर्ति कला का विश्व कोष भी कहा जाता है ।
इस दुर्ग में जैन कीर्ति स्तंभ जो प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को स्मतपित है। इसका निर्माण जीजा जैन द्वारा करवाया गया।
किले में मीरा मंदिर है जो इंडो-आर्य सेली में निर्मित हैं।
चितौड़ गढ़ के किले में प्रसिद्ध कुंभ श्याम मंदिर स्थित है।
फतेह प्रकाश महल भी प्रसिद्ध है।