राजस्थान में खनिज संपदा

राजस्थान की खनिज सम्पदा 

राजस्थान खनिजों की किस्म की दृष्टि से प्रथम स्थान पर हैं।राजस्थान में सभी प्रकार के खनिज पाए जाते हैं, कुछ खनिज ज्यादा,कुछ कम।राजस्थान के दक्षिण में खनिजों की किस्म व मात्रा दोनों सर्वांधिक हैं पश्चिम राजस्थान में धात्विक खनिज न्यूनतम हैं।दक्षिण राजस्थान में धात्विक खनिजों की मात्रा सर्वांधिक हैं जैसे:- तांबा,सीसा-जस्ता आदि। 
उत्तरी राजस्थान/उत्तरी-पूर्वी राजस्थान में तांबा की मात्रा सर्वांधिक हैं, झुन्झनु, सीकर, अलवर में।2007 में राजस्थान के लगभग सभी पूर्वी जिला में तांबे के भण्डार खोजे गए हैं।वे खनिज जिनके खनन में राजस्थान का पहला स्थान हैं निम्न हैं:-
वोलेस्टोनाइट, मार्बल, सीसा-जस्ता।                        एस्बेस्ट्स, फ्लोराइड, घीया पत्थर                             जिप्सम, सेण्ड स्टोन, कोटा स्टोन                          कैल्साइट, फेल्सपार,चांदी 
नोट:-थोरियम (आणिवक खनिज), तामड़ा (गारनेट), वुुलेस्टेनाइट, जास्पर के खनन में राजस्थान का एकाधिकार हैं।
विश्व का लगभग 80 % भारत में, जिसमें से 60% राजस्थान में हैं।
खनिजों का वर्गीकरण


लोहा:-राजस्थान में घटिया किस्म का हेमेटाइट लोहा पाया जाता हैं। जिसका औद्योगिक उपयोग नहीं हैं। यह मोरिजा-बानोल (जयपुर में), चैंमू-सामौद, नीमला-रायसेल (जयपुरव दौसा के मध्य) में पाया जाता हैं डाबला-सींघना (नागौर व सीकर के बीच), भूर-हुण्डेर (उदयपुर में) नाथरा की पाल (उदयपुर में) अन्य उत्पादक जिलें:- बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, डुंगरपुर जयपुर प्रथम स्थान पर एवं उदयुपर दूसरे स्थान पर हैं।मैगनीज:-राजस्थान मैगनीज के उत्पादन में सर्वांधिक पिछड़ा हुआ हैं।बांसवाड़ा में सर्वांधिक भण्डार हैं, इसके अलावा  सवांईमाधोपुर, जयपुर, अलवर में इसका भण्डारण हैं।

 सीसा-जस्ता (गेलेना):- सान्द्र सीसा जस्ता (विषेषकर जस्ता) का उत्पादन केवल राजस्थान में ही निकाला जाता हैं। सीसा-जस्ता जुड़वा खनिज हैं या साथ-साथ निकलते हैं। सीसा-जस्ता के साथ चांदी भी निकलती हैं।इसके उत्पादक जिले निम्न हैं:-उदयपुर में:- जावर की खान ,मोचिया मगरा, बरोड़ मगरा, राजपुरा दरीबा, ऋषभदेव, देबारी, डुंगरपुर में:- माण्डो की पाल , घूघरा की पाल भीलवाड़ा में सीसा जस्ते का केन्द्रीकरण (घनत्व) सर्वांधिक व सर्वोत्तम किस्म का हैं। भीलवाड़ा के रामपुरा-अगुचा में सर्वोत्तम किस्म का खनिज पाया जाता हैं।हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के द्वारा उदयपुर के देबारी, चित्तौड़गढ़ के चन्देरिया में जिंक परिषोधन संयंत्र स्थापित हैं।सवांईमाधोपुर में चौथ का बरवड़ा नामक स्थान पर स्थित हैं।अलवर में गुढ़ा किषोर में भी भण्डारण हैं।सर्वोत्तम किस्म का सीसा-जस्ता रामपुरा-आगुचा (भीलवाड़ा) में पाया जाता हैं।सर्वांधिक मात्रा उदयपुर में हैं।
एसबेस्ट्स (उदयपुर):-यह सामरिक (रक्षा) महत्व का खनिज हैं। (हवाई जहाज, जलयान) जिससे कुछ विषेष प्रकार की  विकिरण निकलती हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं।इससे तापरोधी वस्तुएँ भी बनायी जाती हैं।इसका उत्पादन उदयपुर, डुंगरपुर, भीलवाड़ा, अजमेर में होता हैं।।
उदयपुर में:- जाजरा की पाल मे बरौली में एस्बेस्ट्स का केन्द्रीयकरण सर्वांधिक हैं।डुंगरपुर में:- 1.  देवल 2. पीपरदा 3. जकोल घंटीगला में केन्द्रीयकरण हैं। 
चांदी:- चाँदी उत्पादन में राजस्थान का पहला स्थान हैं।उदयपुर में सर्वांधिक चांदी का खनन होता हैं, इसके अलावा  डुंगरपुर,बांसवाड़ा, राजसमन्द में चांदी का खनन होता हैं।
टंगस्टन:-राजस्थान भारत का एकमात्र राज्य हैं जहां वर्तमान में टंगस्टन का खनन हो रहा हैं।           इसके उत्पादक जिले निम्न हैं:-    
1. नागौर में:-   डेगाना – भाकरी – सेवरिया – पिपलिया – बीजाथल
2.  सिरोही में:-  वाल्दा, रेवदर
3.  पाली में:-  चानाबेड़ा – मोरीबेड़ा -  नानाक्ररारावाब
टंगस्टन का उपयोग बल्ब का तंतु बनाने में किया जाता हैं।टंगस्टन उत्पादन का कार्य राजस्थान राज्य टंगस्टन विकास  निगम के द्वारा किया जाता हैं।। 
 यूरेनियम:- यह एक आण्विक खनिज हैं।भीलवाड़ा के जहाजपुर व टोंक के देवली के मध्य पट्टी में पायाजाता हैं भीलवाड़ा में सर्वांधिक यूरेनियम (भीलवाड़ा के कुराड़िया गांव) में पाया जाता हैं इसके अलावा डुंगरपुर, बांसवाड़ा, किषनगढ़ (अजमेर) में  पाया जाताहैं उदयपुर, बूंदी, टोंक, सीकर में नए भण्डार खोजे गए हैं।

थोरियम:- राजस्थान थोरियम में प्रथम स्थान पर हैं।सर्वांधिक उत्पादन बांसवाड़ा में होता है।डुंगरपुर, चित्तौड़गढ़ व प्रतापगढ़ में भी उत्पादन होता हैं।
चूना-पत्थर:-यह सर्वव्यापी खनिज हैं जो राजस्थान के लगभग सभी जिलों में पाया जाता हैं सर्वोत्तम किस्म का चूना पत्थर जैसलमेर जिले में सर्वांधिक  पाया जाता हैं। जैसलमेर में भारत का 14% चूने के भण्डार हैं।इसके अलावा जोधपुर, जालौर, सवांईमाधोपुर, बूंदी, नागौर,  उदयपुर आदि जिलों में भी सर्वांधिक चूना-पत्थर पाया जाता हैं।चूना-पत्थर अवसादी चट्टान हैं। 
तामड़ा (गारनेट):- यह अर्द्धबहुमूल्य हैं राजस्थान के इसमें एकाधिकार हैं। इसे रक्तमणि भी कहते हैं।इसके उत्पादक जिले निम्न हैं:-टोंक में:-  देवली , राजमहल , गोवरी अजमेर में सरवाड़ तामड़ा के लिए प्रसिद्ध हैं।यह सर्वांधिक अजमेर व भीलवाड़ा में पाया जाता हैं।भीलवाड़ा में दादिया, कमल खेड़ा/कमलपुरा, बलिया खेड़ा में पाया जाता है।सीकर में बागेष्वर क्षेत्र में पाया जाता हैं। 
पन्ना:- यह बेरेलियम व एल्युमिनियम का एक जटिल यौगिक हैं।इसमें राजस्थान का एकाधिकार हैं, यह अर्द्ध-बहुमूल्य है।हरे रंग का होता है, इसलिए इसे हरि अग्नि भी कहते हैं।इसके उत्पादक जिले निम्न हैं:- 
1. उदयपुर में ः-  कालागुमान , माली 2. राजसमन्द में ः-  रेलमगरा 3. पाली में ः-  देसुरी , मारवाड़ जंक्षन (खारची) चित्तौड़गढ़ में देवगढ़ हैं।ब्रिटेन की माइन्स मेनेजमेण्ट कम्पनी द्वारा राजसमन्द व  अजमेर के बीच पन्ना का विषाल भण्डार खोजा गया हैं।
अभ्रक (अधात्विक):-यह ताप का सुचालक व विद्युत का कुचालक हैं।इसके उत्पादक जिले निम्न हैं:- 
1. भीलवाड़ा (सर्वांधिक) 2. उदयपुर 3. चित्तौड़गढ़ 4. डुंगरपुर 5. सीकर 6. अजमेर 7. पाली 8. जयपुर
भीलवाड़ा में अभ्रक की ईंटे बनती है जिसका उपयोग  तापरोधी भट्टियों में होता हैं।
फेल्सपार:-यह अभ्रक की खानों से निकलता हैं और राजस्थान में भारत का लगभग 60 % खनन होता हैं।
इसके उत्पादक जिले निम्न हैं:-
अजमेर में मकरेसा पहले स्थान पर हैं, जहां से 90 % उत्पादन होता हैं।
 पाली , उदयपुर, बांसवाड़ा, टोंक, सीकर
राॅक-फाॅस्फेट (उर्वरक):-
इसका उपयोग रासायनिक खाद बनाने में किया जाता हैं। डाईअमोनियम फास्फेटद्ध उदयपुर के झामर कोटड़ा (एषिया की सबसे बड़ी खान),  सीसर्मा, भीण्डर जैसलमेर में वीरमानया, लाठी बांसवाड़ा, पाली, अलवर, जयपुर में भी पाया जाता हैं।नोट:- कपासन (चित्तौड़गढ़) में राॅक फाॅस्फेट आधारित  रासायनिक खाद का कारखाना स्थापित किया गया हैं। 
फ्लोराइट/फ्लोराइड:-मांडो की पाल (डुंगरपुर) फ्लोराइट की एशिया की सबसे प्रमुख खान हैं भीलवाड़ा के असींद में एवं उदयपुर के झालरा में पाया जाता हैं। 
चीनी मिट्टी/मृत्तिका: यह सर्वांधिक जयपुर में पायी जाती हैं।इसके अलावा धौलपुर, सीकर, दौसा में भी पायी जाती हैं।इसका उपयोग ग्लास (कांच) बनाने में किया जाता है।संगमरमर:-यह कायांतरित चट्टान हैं जो अवसादी का रूपान्तर हैं।सर्वश्रेष्ठ संगमरमर नागौर के मकराना में पाया जाता हैं।(ताजमहल के निर्माण में भी इसका ही उपयोग हुआ था) सर्वांधिक उत्पादन राजसमंद में होता हैं।उदयपुर, अजमेर, सिरोही, चित्तौड़गढ़ में भी उत्पादन होता हैं।सेखा-पेखा (सिरोही) उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं।इमारती पत्थर:- सर्वांधिक जोधपुर में पाया जाता हैं।जैसलमेर में पीला पत्थर पाया जाता हैं।धौलपुर में लाल पत्थर पाया जाता हैं। (लाल किला) करौली में लाल पत्थर पाया जाता हैं।पाली में ग्रे पत्थर (खण्ड़ा) सवांईमाधोपुर में कोटा स्टोन (सर्वांधिक) पाया जाता हैं।काला ग्रेनाइट-भैंसलाना (जयपुर) में पाया जाता हैं।सतरंगी संगमरमर उदयपुर में पाया जाता हैं।चीतीद्वार संगमरमर सिरोही में पाया जाता हैं।गुलाबी संगमरमर (ग्रेनाइट) जालौर में पाया जाता हैं।हरा संगमरमर उदयपुर में पाया जाता हैं।
सोना:-राजस्थान में सोने का खनन नहीं होता हैं, लेकिन सोने के  भण्डार खोजे गए हैं।खनन के लिए राजस्थान सरकार और से आस्ट्रेलिया की इंडोगोल्ड कंपनी के बीच बातचीत चल रही हैं।खोजे गए क्षेत्र निम्न हैं:-बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ के मध्य आनन्दपुर मुकिया सिरोही में बसंतगढ़, अजारी, गोलिया (पुराने क्षेत्र)   नए खोजे गए क्षेत्र निम्न हैं:-
बांसवाड़ा , धौलपुर, डुंगरपुर, झुन्झनु, सीकर    नोट:- सोना स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता हैं।
घीया पत्थर:-यह उदयपुर में सर्वांधिक पाया जाता हैं एवं इसके उत्पादन में उदयपुर का एकाधिकार हैं इसका उपयोग किटनाषक दवाईयाँ बनाने, खिलौने बनाने में वश्रृंगार प्रसाधन बनाने में किया जाता हैं।


बेरिलियम:-एक विषेष प्रकार की मिट्टी जैसा खनिज, जिसका आण्विक  उपयोग होता हैं राजस्थान के दक्षिण के जिले उदयपुर, डुंगरपुर, भीलवाड़ा में सर्वांधिक हैं।इसके अलावा जयपुर, सीकर व अलर में भी पाया जाता हैं।

वुलस्टेनाइट:-
यह 100 प्रतिशत राजस्थान में पाया जाता हैं तथा इसके उत्पादन में राजस्थान का एकाधिकार हैं इसका उत्पादन उदयपुर, सिरोही, डुंगरपुर, अजमेंर व  भीलवाड़ा में होता हैं। 
बेराइट्स:-यह चट्टानों के मध्य पायी जाने वाली एक विषेष प्रकार की  मिट्टी जैसा खनिज हैं।राजस्थान में इसका उत्पादन उदयपुर, अलवर, भरतपुर,  अजमेर व सीकर में सर्वांधिक होता है।अनार्थिक होने के कारण इसका खनन कम होता हैं।

जिप्सम (हरसौंठ):-पष्चिम के मरूस्थल में सर्वांधिक पाया जाता हैं।यह सागरीय अवषेष हैं।राजस्थान का इसके खनन में पहला स्थान हैं।इसके उत्पादक जिले निम्न हैं:-         बीकानेर में जामसर, यह राजस्थान खान खनिज विकास निगम की सबसे बड़ी  खान हैं,लेकिन वर्तमान में इसमें उत्पादन कम हो गया हैं।बिसरासर की खान हनुमानगढ़ में, जहां वर्तमान में सर्वांधिक खनन होता हैं नागौर जिप्सम के सर्वांधिक जमाव वाला जिला हैं।भण्डारण की दृष्टि से यह पहले स्थान पर हैं।इसका उपयोग खाद बनाने व भूमि की क्षारीयता को कम करने में किया जाता हैं।इसका उपयोग सीमेंट व प्लास्टर आॅफ पेरिस (POP) बनाने में भी किया जाताहैं।जालौर:- ग्रेनाइट के भण्डारण की दृष्टि से पहले स्थान पर है।ग्रीन स्टोन क्षेत्र के अंतर्गत:- तांबा व सोने के भंडारण वाला क्षेत्र ग्रीन स्टोन क्षेत्र कहलाता हैं।सीकर के सलादीपुर मे पायराइट्स के सर्वांधिक भंडार पाये जाते हैं पाली के नाना करारावाब क्षेत्र में टंगस्टन के भंडार पाए जाते हैं। राजपुरा दरीबा सीसा-जस्ता के लिए प्रसिद्ध हैं।उदयपुर के झामर कोटड़ा में राॅक फाॅस्फेट के भंडार पाए जाते हैं।                      खेतड़ी सिंघना क्षेत्र तांबा के लिए प्रसिद्ध हैं।                 
खो-दरीबा (अलवर) तांबे के लिए प्रसिद्ध हैं।
खेतड़ी में हिन्दुस्तान काॅपर लिमिटेड के द्वारा तांबा परिषोधन संयंत्र तथा दरीबा में सान्द्र तांबा गलाने का कारखाना स्थित हैं।हिन्दुस्तान काॅपर लिमिटेडहिन्दुस्तान जिंक लिमिटेडसांभर साॅल्ट लिमिटेडइन्स्ट्रुमेकटेषन लिमिटेडमाॅर्डन बेक्ररी (जयपुर) स्थित है।                       
हिन्दुस्तान मशीन टुल्स (अजमेर में) स्थित हैं।ये सभी भारत सरकार के उपक्रम हैं।

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